Menu
blogid : 13315 postid : 614398

नफ़रत का उठता ये गुबार देखिए

अफ़साना
अफ़साना
  • 15 Posts
  • 10 Comments

नफ़रत का उठता ये गुबार देखिए ।
भाई -भाई में बढती दरार देखिए।
…………………………….
जुल्मो सितम अब बड़ने लगा है।
राजनीति का नशा चढ़ने लगा है।
नाते रिश्ते सारे बिगड़ने लगे है ।
अपनों से अपने बिछड़ने लगे है।
हो चुकी है अमन की हार देखिए।
भाई भाई…………………….
अपने पराये में यहाँ भेद नहीं है ।
नफरत का भारत में वेद नहीं है।
माहौल अब यहाँ बदलने लगा है
मुहब्बत का सूरज ढ़लने लगा है ।
अमन के है कातिल हजार देखिए।
भाई भाई……………………
कुर्सी की उल्फ़त में जो जल रहे है ।
नई- नई चलें वो लोग चल रहे है।
गरीबों की इनको ना चिंता कोई ।
अपनी दुर्दशा पे भारत माँ है रोई।
सपने यहाँ मिलते है उधार देखिए ।
भाई भाई………………………

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply