अफ़साना
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नफ़रत का उठता ये गुबार देखिए ।
भाई -भाई में बढती दरार देखिए।
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जुल्मो सितम अब बड़ने लगा है।
राजनीति का नशा चढ़ने लगा है।
नाते रिश्ते सारे बिगड़ने लगे है ।
अपनों से अपने बिछड़ने लगे है।
हो चुकी है अमन की हार देखिए।
भाई भाई…………………….
अपने पराये में यहाँ भेद नहीं है ।
नफरत का भारत में वेद नहीं है।
माहौल अब यहाँ बदलने लगा है
मुहब्बत का सूरज ढ़लने लगा है ।
अमन के है कातिल हजार देखिए।
भाई भाई……………………
कुर्सी की उल्फ़त में जो जल रहे है ।
नई- नई चलें वो लोग चल रहे है।
गरीबों की इनको ना चिंता कोई ।
अपनी दुर्दशा पे भारत माँ है रोई।
सपने यहाँ मिलते है उधार देखिए ।
भाई भाई………………………
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